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दुर्मिल सवैया




दुर्मिल सवैया


तुम सुंदर भव्य मनोहर भाव, विचार महातम ज्ञान भरा।

अरुणा अरुणोदय लाल प्रभा, अरुणाभ अनंत असीम धरा।

तरुणी घरनी गृह कौशल युक्त, सदा मन में अति हर्ष हरा।

धरणी सुघरी शिव शक्ति स्वरूप, शिवा महिमामृत प्रेम धरा।


अरुणामृत ज्ञान सुधा वसुधा,ललिता अति लालिम रंग प्रिया।

शिव जंग सदा विजयी जग में, अरुणांचल रूप प्रदर्श हिया।

अरुणाकर नाम प्रसिद्ध सदा, अरुणामय तत्व अमी रसिया।

जिसके मन में अभिमान नही, उसने शुभ काम तमाम किया।


प्रिय रूप स्वभाव सदा विदिता, मन मस्त विवेक चला करता।

मधु मास हिये प्रिय राग खिले, अनुराग में विम्ब सदा दिखता।

अति शीघ्र प्रसन्न सदा सुमुखी, दिल से दिलदार सदा मिलता।

मधुराग सुहाग सुभाग सुहाय,सहाय सयान सदाशयता।


छवि मोहक प्रातिभ नव्य विभा, नव दिव्य चमत्कृत नायक है।

मन से अति तुष्ट महामन सा,प्रिय शिष्ट सुबोध सुलायक है।

दिखता मन में नहिं पाप कभी, अति पुण्य प्रताप विनायक है।

अरुणालय आलय लाल किला,अरुणा प्रिय काव्य रचायक है।।




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1 Comments

Renu

23-Jan-2023 05:01 PM

👍👍🌺

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